सऊदी अरब में हुए दिल दहला देने वाले बस हादसे में मारे गए हैदराबाद के 45 भारतीय नागरिकों के शव अब भारत नहीं लाए जा सकेंगे। सऊदी सरकार ने भारतीय दूतावास को सूचित किया है कि सभी शवों को स्थानीय कब्रिस्तान में ही दफ़न किया जाएगा। हादसे में शव बुरी तरह जल जाने के कारण उनकी पहचान मुश्किल हो गई है, जिसके चलते स्वास्थ्य व सुरक्षा नियमों के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें भेजना संभव नहीं है।
यह हादसा तब हुआ जब मक्का से मदीना जा रही उमराह यात्रियों से भरी बस को पीछे से आ रहे एक तेज रफ्तार ईंधन टैंकर ने जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर के बाद बस और टैंकर में आग लग गई, जिसमें 42 से 45 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। एकमात्र यात्री शोएब खिड़की तोड़कर बाहर कूदने में सफल रहे और घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं।
हादसे में हैदराबाद के एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों के 18 सदस्यों की मौत ने सबको झकझोर दिया है, जिनमें नौ बच्चे भी शामिल हैं। मृतकों के परिजनों का कहना है कि उनके परिजन उमराह के लिए 9 नवंबर को जेद्दा गए थे और 23 नवंबर को वापस लौटना था। कई परिजन सऊदी अरब पहुंच रहे हैं ताकि मृतकों के अंतिम संस्कार में शामिल हो सकें।
हैदराबाद और तेलंगाना के कई परिवारों के छह से सात सदस्य इस बस में थे, जिनसे हादसे से ठीक पहले तक संपर्क में थे, लेकिन फिर अचानक संपर्क टूट गया। राज्य सरकार ने पीड़ित परिवारों को पासपोर्ट व वीज़ा सहित हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सहित कई नेताओं ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है। हादसे की व्यापक जांच की मांग भी उठ रही है, जिसमें संबंधित ट्रैवल एजेंसियों की भूमिका की जांच शामिल है।
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